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यहाँ खाटू श्याम मंदिर में ग्यारस (एकादशी) से जुड़ी जानकारी को थोड़ा संशोधित और बेहतर रूप में प्रस्तुत किया गया है:
खाटू श्याम मंदिर में ग्यारस (एकादशी) का विशेष महत्व
खाटू श्याम मंदिर में “ग्यारस” यानी एकादशी का दिन अत्यंत पवित्र और विशेष माना जाता है। इस दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर पहुंचते हैं, खासकर निर्जला एकादशी (जून माह) और फाल्गुन शुक्ल एकादशी (जिसे आमलकी एकादशी भी कहा जाता है) के अवसर पर। भक्त खाटू श्याम जी के दर्शन कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और अपने जीवन में सुख, समृद्धि और शांति की कामना करते हैं।
ग्यारस (एकादशी) क्या है?
हिंदू पंचांग के अनुसार, एकादशी हर महीने दो बार आती है – शुक्ल पक्ष की और कृष्ण पक्ष की। यह तिथि भगवान विष्णु को समर्पित मानी जाती है, और खाटू श्याम जी को श्रीकृष्ण का ही रूप माना जाता है, इसलिए यह दिन यहां विशेष रूप से पूजनीय होता है।
विशेष एकादशी तिथियां:
🔹 निर्जला एकादशी
यह वर्ष की सबसे कठिन और पुण्यकारी एकादशी मानी जाती है। आमतौर पर जून माह में आने वाली इस एकादशी पर भक्त दिनभर निर्जल (बिना पानी के) उपवास रखते हैं और रात्रि जागरण के साथ भक्ति में लीन रहते हैं।
🔹 फाल्गुन शुक्ल एकादशी (आमलकी एकादशी)
फाल्गुन महीने में आने वाली इस एकादशी का भी अत्यंत महत्व है। यह खाटू श्याम भक्तों के लिए विशेष रूप से शुभ दिन माना जाता है, और दर्शन हेतु लाखों श्रद्धालु मंदिर पहुंचते हैं।
मंदिर के दर्शन समय:
- सुबह: 4:30 AM से 12:30 PM तक
- दोपहर बंद: 2:00 PM से 4:00 PM तक
- अन्य विशेष अवसरों (जैसे जागरण) पर समय में बदलाव हो सकता है।
एकादशी पर लगने वाला मेला:
निर्जला एकादशी और फाल्गुन शुक्ल एकादशी के अवसर पर खाटू श्याम मंदिर में विशेष मेले का आयोजन होता है। इस दौरान मंदिर प्रांगण में भक्ति गीत, कीर्तन, और धार्मिक आयोजन होते हैं, जिससे वातावरण भक्तिमय हो उठता है।
दर्शन का महत्व:
एकादशी के दिन खाटू श्याम जी के दर्शन करना अत्यंत पुण्यदायक माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन जो श्रद्धालु सच्चे भाव से श्याम बाबा के दर्शन करते हैं, उनकी मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होती हैं।
अगर आप खाटू श्याम जी के भक्त हैं या मंदिर दर्शन की योजना बना रहे हैं, तो ग्यारस का दिन सर्वोत्तम माना जाता है – खासकर निर्जला और फाल्गुन एकादशी के समय।