Faridawad Khatushyam Temple

Faridawad Khatushyam Temple

फरीदाबाद में खाटू श्याम बाबा का अनोखा मंदिर

फरीदाबाद स्थित खाटू श्याम बाबा का मंदिर अपनी अनोखी विशेषता के कारण दुनिया भर में प्रसिद्ध है। यह मंदिर एकमात्र ऐसा स्थान है जहां खाटू श्याम बाबा का स्वरूप शीशदान से पहले स्थापित किया गया है। अन्य सभी खाटू श्याम मंदिरों में बाबा का शीश पाया जाता है, लेकिन इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां बाबा का स्वरूप शीशदान से पहले विराजमान है। यहां रोजाना भक्तों की भीड़ उमड़ती है, भंडारे का आयोजन होता है, और बाबा की आरती की जाती है। श्रद्धालुओं का मानना है कि जो भी यहां आता है, बाबा उसकी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

पुजारी का बयान
मंदिर के पुजारी अरुण किशोर कौशिक ने Local18 से विशेष बातचीत में बताया कि इस मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा लगभग नौ साल पहले की गई थी, और तब से वह बाबा की सेवा में लगे हुए हैं। उन्होंने बताया कि मंदिर का वर्तमान भवन आठ साल पहले बनाया गया था, लेकिन इससे पहले यह स्थल गौशाला के रूप में जाना जाता था। आज भी मंदिर के पीछे 50 गायों की गौशाला है, जिनकी सेवा मंदिर ट्रस्ट द्वारा की जाती है। यहां गौ माता के लिए चढ़ावे का उपयोग किया जाता है। उन्होंने यह भी बताया कि हर दिन दोपहर 1 बजे से भंडारा शुरू होता है, और शाम को 300-400 भक्तों के लिए प्रसाद वितरित किया जाता है।

मंदिर में दैनिक आरती और पूजा का समय
मंदिर में प्रातः 4:00 बजे मंगला आरती से दिन की शुरुआत होती है। इसके बाद 7:00 बजे सिंगार आरती होती है, दोपहर 12:00 बजे भोग अर्पित किया जाता है, और फिर 12:30 बजे भोग आरती होती है। दोपहर 1:00 बजे भंडारा शुरू होता है और उसके बाद मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। शाम 4:30 बजे मंदिर फिर से खुलता है, 7:00 बजे संध्या आरती होती है, और रात 10:00 बजे शयन आरती के बाद मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं।

दुनिया का पहला मंदिर अद्वितीय स्वरूप के साथ
अरुण किशोर कौशिक ने बताया कि इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां खाटू श्याम बाबा का स्वरूप शीशदान से पहले स्थापित किया गया है। यह मंदिर खाटू श्याम बाबा के प्रति अटूट श्रद्धा का प्रतीक है और उनकी महिमा का डंका पूरी दुनिया में बजता है। भक्तों का विश्वास है कि बाबा कलियुग में देवता के रूप में “हारे का सहारा” बनकर उनके हर संकट को दूर करते हैं और उनका कल्याण करते हैं।

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